31 बादल अना धरती टल जायेत, पर मोरी गोस्टी कभ्भूच नही टलेत।
बादल अना धरती टल जाहेत, पर मोरो कव्हयो कदीच नही बदलेत।
काहे की मि तुमरो लक खरो कव्हसु, का जबा तकन सरग अना धरती टल न जाहेति। तबा तकन मोसे को नियम लक एक मातरा एक बिन्दु भी, बिना पूरो हुये नही टलेत।
मि तुमी लक खरो कव्हसू, की जबा तकन यो सबच गोस्टी पूरी नोको होय जाय, तबा तकन यो पीढी को लोकगीन बनयो रहेति।
“वा बेरा कब आहे कोनीला पता नहात? न सरग को दूत अना ना टूरा पर सीरप परमेस्वर बाबूजी।”
बादल अना धरती टल जाहेत, पर मोरो बात नही टलहेत।
अदी हमी अबिस्वासी भी होय तबा भी उ बिस्वास कबील बनायो रह काहेकी उ आप अपरो मुकर नही कर सकासे।
अमर जीवन की ओना आसा मा जेकी परन परमेस्वर ना जोन झुठो नाहती जुनो जमाना लक करीसेस,
तबा मिना पांढरो रंग को एक महिमा भरयो सिघासन अना ओको मा बसन वालो ला चोवयो, जिनको हाजरी लक धरती अना बादल पराय गयो, अना मंग कबच नही चोवयो।