17 अना सीकान को लाय उनलक कहीस, “का पवीतर गिरंथ मा नही लिखियो से? की मोरो घर सब देस को लोकगीन को लाय पिराथना करन को घर कहलाहे पर तुमी ना एला डाकूगीन को अड्डा बनाय डाकिसेव।”
अना मंदिर मा लक होयके कोनी ला, बरतन धरके आवन-जावन नही देइस।
लिखो से परमेस्वर को घर पिराथना को, घर होयेत, पर तूमना वोला डाकू को, अड्डा बना दियो से।
वोना मंदिर मा मेढा परेवा बईल बिकनवालो अना सोना-चांदी ला बदलन वारो ला बसा चोवसे,
अना परेवा बिकन वारो ला साँगीस, इनला इता लक ले जावो! मोरो परमेस्वर को घर ला, धंधा करन को सराव नोको बनाव।