51 यीसु ना ओको लक पुसिस की “का चाव्हसेस मि तोरो लाई करु?” अँधरा ना जवाब देइस की “गुरुजी मि चोवन चाव्हुसु।”
अना बाजार मा नमस्कार करनो साजरो लगासे। अना मानूस को बीच मा गुरू कहलानो साजरो लगासे।
पर तुमी ना ता गुरू कहलावना काहेकि तुमरो एकच गुरू से अना तुम सब गुरू भाऊ आव।
एकोलाय तुम्हि उनको जसो नोको बनने काहेका तुम्हरो परमेस्वर बाबूजी तुमरो माँगन को पुढ़ा जानासे का तुम्हि ला काजक-काजक चीज गीन की जरुरत से।
माँगो ता तुमला दियो जाहेत ढुँढो ता तुमी पाहो। खटखटाओ ता तुमरो लाई उघाड़ो जाहेत
ओना उन लक कहीस, की “तुम काजक, चाव्हसो? मि तुमरो लाई काजक करु?”
उ आपरी चद्दर फेकके उछल पड़यो, अना यीसु जवर आयो।
यीसु ना ओला कहीस, मरियम! ओना मंघा मुरकके ओला इबरानी मा कहिस “हे गुरु”
सेना को मुखिया न वोको हात धरके अना वोला सुनसान जघा मा ली जायके पुसीस “तु मोला कोनती गोस्टी सांगन चाहवसेस?”
कोनी भी गोस्टी को चिंता नोको करहो, पर हरेक गोस्टी मा पिराथना अना निवेदन लक तुमरो बिनती, धनवाद को संग परमेस्वर को पुढा पेस कियो जाहे।