6 धन्य सेत वय जो धरम का भुको अना तहान सेत, काहे का वय, अघा जाहेत।
वोना भुखो-लाघो गिनला, साजरो-साजरो जेवन देइसेस। अखीन धनी गिनला, रिकामो हात लौटा दियो से।
धन्य सेव तुम्ही जोन भुखो सेव, काहेका तुमी अघाय जाहो। धन्य सेव तुमी, अबा रोवसो काहेका तुमला हसनो पड़हेत।
धिक्कार सेत “तुमरो पर, अता अघाय सेव, काहेका तुम, ला भुखो रव्हनो पडे़त।” धिक्कार सेत तुमला, जोन अबा हासोसेव काहेका, तुमला रोवनो अखीन दुख मनानो पड़हेत।
पर जोन कोनी यो पानी पीहे जोन मी देवासू, उ सदा लक तहान नही होहेत। पर उ पानी एक झिरिया बन जाहेत, जोन हरामेसा तकन पिझरत रहेत।
नास होवन वालो जेवन लाई मेहनत कायलाई करोसो? पर उ जेवन लाई मेहनत करो, जोन अमर जीवन लाई से। काहेकि उ जेवन मानूस को टूरा देहे, काहेका परमेस्वर दाअजी ना यो देन को हक वोला देईसेस। मजे परमेस्वर ना छाप लगाइसे।
तिहार को आखरी दिवस मा यीसु उभो हुयो, अना जोर लक कव्हन लगयो, “जोन कोनी भी तहान होय, उ मोरो कठा आयेत।”
मंग ओय भुखो अना तहान नही होहेत, अना नाच उनपर धुप, नाच कोनी तपन लगहे।