काहे का परमेस्वर दाअजी टूरा ला माया राखासे। अना जोन-जोन काम उ खुद करासे, उ सबला वोला दिसावासे अना यो काम लक मोठो काम वोला दिसाये। काहे का तुमी चकित होवो।
“सातवो सरगदूत ना जबा आपरो तुर्रा फूँकीस तो बादल मा लगत आवाज होवन लगयो।” वय कव्हत होतिन, “अबा जगत को राज आमरो पिरभू को सेत। अना वोको मसिहा को। अबा वा साजरो सासन लक हरामेसा राज करहेत।”