जबा राजपाल पिलातूस न्याय आसन मा बसो होतो। ता वोकी बायको ना वोको जवर खबर धाड़ी होती, “वोना सीधो-नेक मानूस को संग काही नोको करजोस, मी ना वोको बारेमा एक सपना चोवीसेऊ जोनलक अज मी दिवस भर बेचैन होती।”
राजा ना तिसरो बार कव्हयो, “काहे यो मा कोनतो, खोट सेत?” मीना वोको मा कूरूस मा चघावन को लाय कोनी गोस्टी नही पाई सेव! एकोलाय मी वोला, पिटावाये केना सोड़ा सेऊ।
आमी जान सेजन का मोसे को नियम जोन काही सांगा सेत, वा वय लोकगीन ला सांगा सेत, जोन कायदा को अधीन सेत। जोन को लक हरेक मानूस को जुबान मा ताला लगी जाय। अना परमेस्वर को पूढा सारो जग सजा को काबील मानो जाय।
वय परमेस्वर ला जानन को दावा करासेत पर उनको काम असो चोवसे जसो ओला नही जानासेत। वय घिरना को काम करनवालो, अना हुकूम नही मानन वालो सेत। अना कोनी भी नेक काम करन को काबिल नही सेत।
अना सब धरती को लोकगिन यो गोस्टी लक खुसी मनाहेत। अना एक दुसरो ला भेट देहेत। काहेका यो दुयी भविस्यवक्ता गीनना धरती को रव्हनवारा गिनला लगत दुख दियो होतिन।