2 ओना खुरो को एक रुपया मा ठहरायके नौकर बनिहार ठहरायो। अना उनला आपरो अंगूर को बगीचा मा काम करन लाई धाड़ देईस।
पर जबा वय दास बाहेर हिटयो, ता वोको संगी नौकर मा लक एक वोला भेटयो जोन वोको सौ सिक्का, को करज दार होत्यो। तबा उ नौकर संगी को गरो धरके कहीस “मोरो करजा भर”
सरग को राज एक जमींदार को किस्सा जसो से। जोन भुन्सारे आपरो अंगुर को बगीचा मा काम करन बनिहार लावन हिटयो।
ओना मालक ना जवाब देइस, अरे संगी, मि तुमरो काही हानी भयी का? का तुना मोरो लक एक खुरो को सिक्का बिनी नही ठहरायो होतो?
मंग बनिहारी बेरा जमींदार मंग घर लक हिटयो अना हाट मा गयो। वोला काही बनिहार लोकहुन ला हाट मा इता-उता हिंडत चोवयो।
असो परकार जोन नौकर बनिहार पील-पील दिवस मा काम मा लगयो होतिन, उनमा लक हरेक ला खुरो को एक रुपया मिलयो।
रोमन देस को राजा ला जमा पटावन वालो सिक्का ला मोला दिसाव तबा वय वोको जवर एक खुरो को सिक्का आनीन।
तबा ओना आपरा चेला गीन ला कहीस “खेत लगत पिकयो सेत, पर बनिहार जरा सा सेत।
आमी देबिन या नही देबिन? ओना उनको कपट जानके उनला कहीस “मोला कायलाई परखोसो?” “एक सिक्का मोरो जवर आनो की मि ओला चोय लेउ।”
काहे का उ पिरभु को पुढ़ा, मा महान होयेत। अखीन अंगूर को रस, अर दारु, कभी नही पिहेत। अखीन उ आपरो माय को पोट लक, पवीतर आतमा लक भरो होयेत।
बइद ला दोन सौ दीनार देके कहीस, का अखीन लगहे तो मी आनके दे देहू अखीन रोगी को सेवा करजोस।
एक रुपया को सिक्का मोरो कठा आनो, तबा जनता लक पुछयो योमा कोन को छापा सेत अखीन कोको नाव सेत? लोगगीन कहिन राजा कैसर को।
अना बचपन लक पवीतर गीरंथ तोरो दिल मा लिख्यो सेत जोन तोला मसीह यीसु मा बिस्वास करन लक मुकती पावन लाई अक्कलवर बनाय सकासे।
अना मिना उन चार जीव को बीच लक एक आवाज आयकयो “सिक्का को सेर भरयो गहूँ, अना सिक्का को तीन सेर जौ, पर तेल अना अंगूर को रस को हानी नोको करो।”