14 वहान पाँच हजार मानूस होतिन। मघं उ आपरो चेला गीनला, कहीस, उन ला पचास-पचास की पंगत मा बसाय देव।
तबा ओना जनता ला जमीन मा बसन लाय कहीस, यीसु ना सात भाकर धरके परमेस्वर ला धन्यवाद देईस। अना भाकर को टुकड़ा करके चेला गीन ला देइस, तबा वय उनला परसन लगीन।
ओना उनको लक कहीस, तुमी उनला जेवन ला देव, उनना कहिन, हमरो जवर पांच भाकर अना दूई मसरी, ला सोड़ अखीन कहि नहात। का तू कव्हसे, की हमि जायके, सबा लोकगीन लाय, जेवन आनबीन?
उन ना असोच करीन, सबला बसाय देईन।
पर सबा काही साजरा अना बेवस्थित रीत लक कियो जाय।