अना जिता-जिता गाँव नगर अना बस्ति मा उ जावत होतो लोक बीमारगीन ला बाजार मा राखके ओको लक बिनती करत होतीन, का उ उनला आपरो कपरा को छोर ला छुवन दे, अना जेतरा वोला छुवत होतीन, वय सप्पा साजरो भय जात होतीन।
अखीन रड़त-रड़त यीसु को पाय को जवर उभी भई, अना अपरो आसूँ लक, ओको पाय ला धोवन लगी, अखीन अपरो चुन्दी लक पाय ला पोछन लगी। अना पाय को चुम्मा लेवन लगी, अना इतर ला मलन लगी।
एक बायको बारा बरस लक लाल धोवा को बीमारी लक, परेसान होती, वा साजरो होवन को लायक भी नहोती। वा आपरो सबा धन, बैद को जवर, इलाज मा लगा देयि होती, पर उ साजरो नही भई।
एको असो फर भयो का जोन लोक अपरा बिमारगीन ला आनके खाट अना बिस्तर मा आन-आन के रस्ता-बाट मा सोवान लगीन, जोनलक जबा पतरस उता लक हिटेत त काही भी पिरकार लक वोकी सावली पड़जाय।