तबा उनना, जवर आयके वोला जगाईन, अना कव्हयो, मालीक-मालीक हमी नास भई जाबिन, तबा वोना, आँधड़ अखीन पानी ला डटकार के हुकूम देइस, अखीन आँधड़ थम गयो, अना उनको मन मा, सुकुन आयो।
समौन पतरस ना उनको लक कहीस, “मि मसरी पकड़न लाई जावासू।” वय ओला कहिन “हमि भी तोरो सँग चला सेजन।” वय चले गइन, नाव मा चघके मसरि पकड़न लगीन, पर उ रात उनला काही नही भेटियो।