17 वोको हात मा सूपड़ो से, उ आपरी खरीयान ला साजरो रीती लक सफा करहे। अपरो गँहु ला कोठी मा जमा करयेत। अखीन भुसा-भासी ला, कभ्भू नही बुझन वालो स्तो मा, डाक देहेत।
कापन को बेरा मा मि साँगु का जँगली गवथ ला काप लेव अना जलान काजी बोझा बान्ध लेव अना साजरो वालो गहुँ ला खरीयान मा ठेव देव।
ओको सुपड़ो, ओको हात मा से, उ आपरो खरीयान साजरो लक सफा करेत। अना आपरो गहुँ ला आपरो ढोला मा जमा करेत पर भुसा ला ओना स्तो मा पेटाहे जोन कबच नही झिझाहेत।”
योहन असो अजब-गजब उदाहरन समेत सिक्सा, जनता ला आयकावत होतो।