मोसे को नियम को गुरू उभो-उभो असो, पिराथना करत होतो। “परमेस्वर मी तोला धनवाद देवासू, का मी दुसरो लोकगीन जसो, लोभी, अन्यायी, गलत काम करन वालो नहि सेव, अखीन यो जमा वसूली करन वालो, अन्धेर करन वालो जसो नही सेव।
जमा वसूली करन वालो, पापी अधिकारी काही दूहुर मा उभो होतो, वोला सरग कना, डोरा उठानो तकन को हिम्मत नही होतो। उ आपरो छाती पीट-पीट के ना कव्हत होत्यो, “परमेस्वर मोरो पर दयाकर।”
पर उतानी रुकन को पूरो बेरा बिताय के वहान लक चली गया। अना सब आई-माई अना टूरा-टारी सहीत हमला नगर को बाहेर तकन पहुचाइन। मगं सागर को कगर मा अमी टोंगरा टेकके पिराथना करया।