अना पिरभू को एक सरगदूत एकाएक परगट भयो अना वोच जेल को खोली मा उजाडो भयो, अना ओना पतरस को पसली पर हात मारके ओला जगाईस अना साँगीस, “सटाकनेरी उभो होय!” अना वोको हात लक हतकड़ी पड़ गईन।
एको मा सक नहाय का भक्ति को भेद गम्भीर से अना उ जोन हिरदय मा परगट भईसे, आतमा ना सच्चो अना धरमी ठहरायो, सरगदूत गीन ला चोवाईस गैरयहुदी लोक गीन मा, वोको परचार भयो संसार मा, वोको बिस्वास करयो गयो अना, महिमा मा वोरता उठायो गयो।