5 पर मोला रोज वा बेवा परेसान कर डाखीस, एको लाय मी आज एको, न्याय कर देसू कही असो ना होयेत, का बार-बार आयके, ना मोरो नाक मा दम कर देहेत।
पर उनना ओला जवाब नही देइस, तबा ओको चेला ना आयके ओको लक कव्हयो, एला सार कर, काहेकि वा हमरो मंघा चिल्लावत आय रहीसे।
मी तुम्हिला सागंसू, का उ टोन्ड फोड के मांगीसेस, यो काजी जेतरो जरुरत से, वोको संगी वोला जरुर देहेत।
वोच नगर मा एक बेवा रव्हत होती, जो वोका कठा आय आयके, कव्हत होती, मोरो बदला, देव अखीन मोला, मुकदमा करन वालो लक बचा।
तबा पूढा चलन वालो लोग गीन, ना चुप्प होवन काजी डाटन लगीन, पर उ अखीन जोर लक, वसोच हाकलीस। “ओ दाऊद को औलाद, मोरो पर दया कर।”
मी आपरो देह ला तकलीप देवासू, अना वोला आपरो बस मा राखासू। कही असो ना भई जाय का दुसरो ला परचार को मघा, मी खुद वोको पर चलनवारा नही बनू कही लोक असो ना कव्हे का “दियो खाल्या अँधार सेत।”