3 वोच नगर मा एक बेवा रव्हत होती, जो वोका कठा आय आयके, कव्हत होती, मोरो बदला, देव अखीन मोला, मुकदमा करन वालो लक बचा।
कचहरी जातो बेरा मी रास्ताच मा अपरो मुद्दई लक मेल मिलाप कर लेवो, कहीं असो नोको होहेत का वय तुमला न्याय करन वालो ला सोप दे अना सिपाई तुमला जेल मा डाक दे।
कोनी नगर मा एक न्यायी रव्हत होतो, जोन नातो परमेस्वर को भगती करत होतो ना डरत होतो अना मानूस गीन को भेव खावत होत्यो।
काही बेरा तकन उ नही मानिस, पर आखीर मा मन मा बिचारन लगीस, का मोला ना तो परमेस्वर को भेव से ना ता कोनी लोकगीन को भेव सेत।
पर मोला रोज वा बेवा परेसान कर डाखीस, एको लाय मी आज एको, न्याय कर देसू कही असो ना होयेत, का बार-बार आयके, ना मोरो नाक मा दम कर देहेत।