2 कोनी नगर मा एक न्यायी रव्हत होतो, जोन नातो परमेस्वर को भगती करत होतो ना डरत होतो अना मानूस गीन को भेव खावत होत्यो।
वोच नगर मा एक बेवा रव्हत होती, जो वोका कठा आय आयके, कव्हत होती, मोरो बदला, देव अखीन मोला, मुकदमा करन वालो लक बचा।
काही बेरा तकन उ नही मानिस, पर आखीर मा मन मा बिचारन लगीस, का मोला ना तो परमेस्वर को भेव से ना ता कोनी लोकगीन को भेव सेत।
तबा अंगूर को बारी को मालीक ना सोचिस, का मी काय करू? मि आपरो चहेतो टूरा ला धाड़सु, साइद वोना लोक गीन वोको आदर करयेत।
अना मंग यो भी का इन सब ला वय अजी भी जोनना आमरो देहला जलम दियो सेत। अमिला सजा देवासेत। अना एकोलाय अमी उनला मान देवासेत। मंग अमी अपरो आत्माहुन को अजी को अनुसासन को कितरो जादा अधीन रव्हतो हुयो जीवनो पाहिजे