7 “यदि तुमारो दास नांगर धरकेना खेत लक लवटसे, या सेरकी सेरी चरा के ना लवटासे, तो तुमी मा लक असो कोन सेत? जोन सांगेत आ अबा जेवन करले।
वोना उनला सांगिस तुमरो मा असो कोन सेत? जोनको, एकच मेढा होय, अना वा बिसराम को दिवस मा खोदरा, मा पड़ जाय, मंग तुम्ही वोला धरके बहार नही कहाड़ेत?
पर पिरभू ना कहीस, हे कपटी गीन का पवीतर दिवस मा तुम आपरो जानवर गधा बईल गीनला डोगा मा पानी देवसो का नही?
तबा यीसु ना उनला कहीस, अदी कोनी को टूरा या बईल बिहर मा पड़ जाहेत, तो तुमी मा कोन सेत जो पवीतर दिवस मा वोला बिहर लक नही हेडेत?
जसो भविस्यवक्ता नूह को बेरा मा हुओ होत्यो, वसोच मानूस को टूरा को दिवस मा भी होयेत।
पिरभू कव्हासेत, अदी तुमला राई को दाना बरोबर भरोसा होत्यो, अना सहतूत को झाड़ ला हुकूम देवतो, का उखड अना सागर मा लगी जाय! ता उ तोरो हुकूम ला मानतो।
अना यो नही कहे, की मोरो जेवन तैय्यार कर, अना मि जबा तकन जेव नही लेऊ, तबा पासुन तैय्यार रव्हके मोरी सेवा कर, एको मंघा तु भी जेव लेजोस।