7 अखीन दुसरो ला पुसयो, तू कितरो को करजदार सेत? तबा वोना जवाब देइस, 100 मन गँहु तबा खंजाची ना कहीस, 80 लिख दे
पर जबा वय दास बाहेर हिटयो, ता वोको संगी नौकर मा लक एक वोला भेटयो जोन वोको सौ सिक्का, को करज दार होत्यो। तबा उ नौकर संगी को गरो धरके कहीस “मोरो करजा भर”
वोना कव्हयो तीन हजार लीटर जैतून तेल, तबा खंजाचि कव्हयो, आपरो करजा को रसिद आन बसके ना वोमा 15 संबर लीटर लिख दे।
मालीक ना वो अन्यायी मूनीम को बडाई करीस, काहेका उ चलाकी लक काम करीस, यो जुग मा भी असोच लोग परमेस्वर को लोकगीन लक लगत चतुर सेत।
अखीन मंघा, वा बेवा भई गई होती अना ओको चऊरासी बरस लक बेवा होती। वा मंदिर को बाहेर नही हिटत होती, अखीन उपास पिराथना करत-करत, रात दिवस परमेस्वर को सेवा मा रव्हत होती।
मंग मालीक ना तिसरो नौकर ला धाड़िस, अखीन उनना वोला भी घायल करके ना कहाड़ देइन।
तबा यीसु जनता ला यो उदाहरन सागन लग्यो, एक किसान आपरी अंगूर को बारी, किसान गीनला ठेका मा देयके, ना गजब दिवस काजी, परदेस मा चले गयो।