जबा दिवस बुड़ गयो तबा अंगूर को बगीचा को मालिक ना आपरो मुनीम ला कहीस, नौकर बनिहार ला हाकल लेव अना आखरी मा लगयो नौकर लक सुरु करके जो पयले लक लगायो गयो, सबला पगार दे देव।
पर परमेस्वर ना ओला साँगीस, हे मन्द डिमाक! आजच रात मा तोरो पिरान तोरो लक हर लियो जाहे, तबा तु अपरो धन सम्पती ला काजक करजोस अखीन जोन राखी सेस कोन को भई जाहेत?
एकोलाय तुम्हिला सही बेरा आवन को पयले कोनी को फैसला नही करनो पाहिजे। आखीर फैसला परमेस्वर को आवन को रस्ता चोवनो पाहिजे। उ जोन राज इन्धार मा लुकयो सेत, उनला उजाड़ मा आनेत। अना लोक गिनको डिमाक मा लुकयो उद्देस्य ला उजागर करहेत। तबा सबला परमेस्वर को कन लक बड़ाई भेटेत जोनको वय हकदार सेत।