जबा दिवस बुड़ गयो तबा अंगूर को बगीचा को मालिक ना आपरो मुनीम ला कहीस, नौकर बनिहार ला हाकल लेव अना आखरी मा लगयो नौकर लक सुरु करके जो पयले लक लगायो गयो, सबला पगार दे देव।
काहेका मुखिया ला परमेस्वर को खजांची होवन को कारन कलिसीया को मुखिया ला निरदोस होवनो चाव्हसे। न ता जिद्दी, न ता गुस्सा करनवालो, न ता पियक्कड़, न मारपीट करन वालो, न ता नीच कमाई को लोभी होय,