52 काहे का एक घर मा पाँच मानूस सेत तो उन मा फूट होहेत, तीन दोन को विरोध अना दोन तीन को विरोध करेत।
का तुम्ही सोचसो का मी धरती मा सान्ती अना मेल करान आयो सेऊ, नही मी फूट डालन आइसेव।
वय एकमेक को विरोध करेत बाप टूरा को अखीन टूरा बाप को, माय टूरी को अना टूरी माय को, सास बहु को अखीन बहु सास को विरोध करेत।
वय तुम्हिला पिराथना सभा अना समाज लक हेड़ देहेत, इतरोच नही पर उ बेरा आवासे, की जो कोनी तुमला मार डाकेह, उ समजेत की मि परमेस्वर की सेवा करुसु।
एतरो पर काही मोसे को नियम को गुरू कव्हन लगीन, यो मानूस परमेस्वर को कन लक नहात, काहेकि उ बिसराम दिवस को पालन नही करासे। ओतरो पर दुसरो ना कहीन, “कोनी पापी मानूस भला असो निसान कसो दिसाय सकासे?” असो परकार लक उनमा आपसी मा फूटफैर भय गई।
वोना जो काही कहे होतो, वोको लक काही न सहमती धरीन। अना काही न भरोसा नही करीन।