44 धिक्कार से तुम पर, काहेका, तुम्ही चुना पुतो सफा मरघट्टी सेव, जोन नही दिससे का, भितर मा का सेत, लोग तुमीला साजरो समज के, लोग तुमरो कव्हनो मा चलासे।
उ बीज सब लक नहानो बीज होवासे पर जब बढ जासे, ता सब साग-भाजी लक मोठो भय जासे; अना असो झाड़ बन जासे की बदल को पक्सी, भी ओको डगाली पर बसेरा करसेति।”
तबा पौलुस न वोको लक कहीस “अरे पांढरो पोती भीत! तोरो पर, परमेस्वर को मार पड़हेत। तु मोसे को नियम को अनुसार, मोरो कसो न्याय करन लाई बसीसेस। का तु मोसे को नियम को बिरोध मा, मोला झापड़ मारन को हुकूम दे रहिसेस।”