29 अखीन, यो बात ला आयक के, वा टूरी घबराय गई, अखी मनमा सोचन लगी, यो कसी गोस्टिसे?
वय आपस मा विचार करन लगीन, हमी भाकर नही आनीसेजन एकोलाय उ असो कव्हासे।
जकरयाह डराय गयो, अखीन ओको “घिघगि बंध गयो।”
सरग दूत ना, ओको कठा जायके सांगिस, नमस्कार मरियम, पिरभु को किरपा तोरो पर भईसे।
सब आयकन वारा मन मा विचार के, ना कव्हन लगीन, का यो लेकरा का बनहेत? काहे का सचमूच मा पिरभु को “वोको पर हात होतो।”
पर मरियम यो सब कव्हनो ला, आपरो मन मा सोचत होती।
यीसु उनको संग येरूसलेम नगर लक आपरो घर नासरत नगर मा आयो। अखीन, उ आपरो माय-बाप को आधीन रहयो। वोको माय ना यो सब गोस्टी आपरो मन मा, सजोय के राखीस।
जबा पतरस अपरो मन मा दुविधा मा होत्यो, का यो दरसन जोन मी न देखीसेऊ, उ का होय सकासे? ता चोवो! उ मानूस जेनला कुरनेलियुस न धाड़ियो होतो, समौन को घर को पता लगायके बेसकुड़ मा उभो भइन।
कुरनेलियुस डरात हुयो सरगदुत को कना चोवतो बोलीस “ओय! पिरभू का से?” सरग दूत न जवाब देईस अपरी पिराथना अना अपरो दान परमेस्वर को पुड़ा पहुच गयो से; अना वोना तोरो हेत करिसेत।