14 तोला खुसी होहे। अखीन गजब लोकगीन, वोको जनम को कारन, खुसी मनाहेत।
पर सरगदूत न ओला सांगिस, ओ जकरयाह, भेव नोको खावजोस, काहेका तोरो पिराथना परमेस्वर ना आयक, लेइस। अखीन तोरि बायको एलीसीबा लक, तोरो लाय एक टूरा होहेत, अखीन तु वोको नाव योहन राखजोस।
काहे का उ पिरभु को पुढ़ा, मा महान होयेत। अखीन अंगूर को रस, अर दारु, कभी नही पिहेत। अखीन उ आपरो माय को पोट लक, पवीतर आतमा लक भरो होयेत।
जब वोको पड़ोसी, अखीन रिस्तेदार ना यो बात आयकिन, का पिरभु को किरपा से। तब सब वोको संग खुसी मा सामील भईन।