काहे का ऐना लोकगीन ला “अक्ल मा गोटा” पड गयी सेत ज्यादा आयक सेत, इनना डोरा बंद कर लईसेत कदी असो न होहे, का वय डोरा लक चोवके, अना कान लक आयक के; मन मा समज लेहेति, अना बदल जाय अना, मि उनला साजरो करू।
अना असो नोको सोचो, का तुमी यो कहेके दंड लक बच सकासेव का अबराहम तुमरो पुरखा से, मी तुमरो लक कव्हसु का परमेस्वर एना पहाड़ी को गोटा मा लक अबराहम को लाई आवलाद पैदा कर सकासे।
ओन्हीसीन यीसु ला फसावन लाय यो गोस्टी पुस रही होतीन, जोनको लक उनला कोनी असो बहाना मिल जाहेत का ओको पर दोस लगाय सकेत। पर यीसु खाल्या नवके अखिन आपरी कंरगी लक जमीन मा लिखन लगयो।
पर सुभाविक मानूस परमेस्वर की आतमा सिक्सा नही धरा सेत। पर वोना गियान ला उ बेवाकुपी समजा सेत। अना ओला समजन काबिल नाहती। काहेका आतमा की सहायता लक, ओना सिक्सा की परख भई सका से।
ओ लेकराहुन, मि तुमला लिख रही सेऊ, काहेका तुमी परमेस्वर बाबूजी ला जान गयासेव। ओ बाबुजीहुन, मि ना तुमीला एकोलाई लिखासेऊ, काहेका जोन सूरू लक से तुमी ओला जान गयी सेव। ओ जुवानहुन, मिना तुमला एकोलाई लिखासेऊ, काहेका तुमी ताकतवर सेव, अना को गोस्टी तुमी मा बनो रव्हसे, अना तुमी ना ओनो बुराई पर जीत पायासेव।