जबा उ असो कव्हच रहयो होतो, तबा एक पाँढरो, बादर न उनला ढाक लियो, अना उ बादल लक एक आवाज आयी यो मोरो एकच चहेतो, टूरा से, जेनको लक मी गजब खुसी सेव “एकी आयको!”
काहेका आमरो मुखिया याजक असो नाहती का आमरो कमजोरी मा अमी लक दुहुर भयी जाय। काहे का पाप ला सोड़ के सब गोस्टी मा आमरो जसो परखो गयो सेत। पर उ बेकसूर हिटयो।
एकोसाठी अगा माया को टुरागीन, यो गोस्टी मि तुम्ही ला एकोलाई लिख रही सेऊ तुमी पाप मा नोको पड़ो अना अदी कोनी पाप करेत ता बाबूजी को कठा आमरो पापहुन लक बचावन साठी बचावन वालो एक सहारा से, मन्जे उ से न्यायी यीसु मसीह।