32 एक अखीन से जो मोरी गवाही देसे, अना मि जानासू का जोन यो गोस्टी ला पुरुप करासे, उ खरो से।
जबा उ असो कव्हच रहयो होतो, तबा एक पाँढरो, बादर न उनला ढाक लियो, अना उ बादल लक एक आवाज आयी यो मोरो एकच चहेतो, टूरा से, जेनको लक मी गजब खुसी सेव “एकी आयको!”
अना सरग लक आवाज आयकु आई “यो मोरो चहेतो टूरा से, जेना लक मि सब लक ज्यादा खुस सेव।”
अना बादल लक आवाज भई “की तु मोरो चहेतो टूरा आस, तोरो लक मि बेहद खुस सेउ।”
अखीन परेवा को देह जसो, पवीतर आतमा वोको पर उतर गयो, अखीन सरग लक यो आवाज आयो, तू मोरो चहेतो टूरा आस, मी तोरो लक गजब खुसी सेव।
अना मी ता वोला चिन्हत नही होतो। पर जोन परमेस्वर ना मोला पानी लक बप्तिस्मा देवन लाय धाड़िसेस, वोना मोला सांगीस, का तुमी जोको वरता आतमा ला उतरतो अना रुकतो चोवजोस वोच पवितर आतमा लक बप्तिस्मा देवनवारा से।
अना मि जानासेऊ का ओको हुकूम अमर जिंदगी से, एकोलाय मि जेना गोस्टी ला सांगासु, बाबूजी ना मोला जसो सांगीसेस, वसोच सांगासु।”
मि मानूस को गवाही पर आसरित नही सेऊ। तरी मि एकलाय कव्हासेउ जेकोलक तुमरो बचाव भय सकेत।