19 अदी तुमी जगत का होतत, तो जगत तुमरो लक माया राखतो, पर एको काजी की तुमी जगत को नही सेव, काहेका मि ला जगत मा लक निवाड़ी सेव। एकोलाय जगत तुमी लक बइर राखासे।
अरे पापी छिनालापन करन वालो मी तुमला नही जानासेउ का संसार लक मिताई जोड़न वारा परमेस्वर को सतरु बननोसे? अना जोन कोनी संसार को संगी होवनो चाव्हसे उ अपरो आप ला परमेस्वर को बैरी बनावासे।
काहेका गैरबिस्वासी लोकांगिन, को इक्सा अनुसार काम करन्यात अना मोह, दारुखोरी, नसा, छिनालापन, अना घिरना लायक मूर्तिपूजा, वाईट इक्सा को बिचमा लगत बेरा गवायो, यो लगत भयो।