ऐको पर पतरस न कहीस, अरे हनन्याह; सैतान ला तुना आपरो मनमा यो गोस्टी कायलाई डाखन दियो? का तुना पवितर आतमा लक खोटो सांगे, अना बोकी जमीन को रकम लक काही बचाय के राख लियो।
उनमा आमी भी पयले आपरो देह की मोह मा दिवस बितात होता, देह अना मन को मरजी ला पूरो करत होता, अना अखीन संसार को दुसरो लोकगीन को जसो बरताव लक परमेस्वर को गुस्सा की लेकरा होता।
अपरो मतलब पुरो करनो को लाय परमेस्वर ना उन सबला एक मन करके उनको डिमाक मा असो बसा दियो सेत का जब तकन परमेस्वर को बचन पुरो नही होयेत, तबा तकन को लाय वय राजा हुन आपरो हक वोना जनावर ला देवे।