13 उ एक बनिहार आय अना वोला मेंढा गीनको फिकर नहात, एकोलाय वा उनला सोड़के पराय जावासे।
बनिहार जोन ना तो मेढा को चरान वालो से अना मेढा को मालीक आय, बीघा ला आवता चोवके मेढा गिनला सोड़के पराय जासे, अना बीघा उनला धर लेवासे, अना छित्तरा देवासे।
मि साजरो चरानवालो सेउ, मि आपरी मेढागिन ला जानासेऊ अना मोरो मेढा मोला जानासे।
यो बात ओना एको लाई नही कहीस, की ओला गरीब गोर की चिंता होती, पर एको लाई कहीस, की उ चोट्टा होतो, अना ओको जवर ओकी पियुसी रहोत होती। अना ओको मा जो काही डाकयो जावत होतो उ हेड़ लेत होतो।
तब सब न सभाघर को मुखिया सोस्थेनेस ला धरके दबोचिन नियाव आसन को पुड़ा पीटीन, पर गल्लियो न येको पर जरासो भी धियान नही देईस।
एकोलाय मी तो असो चाव्हसे का तुमला काही बात को फिकर नोको होय। जोन कुंवारो सेत उ पीरभू को गोस्टी को फीकर करा सेत। अना उ पिरभू ला खुस करनो चाव्हसेत।
पर जोन सादी-सूदा सेत उ दुनिया दारी को चिन्ता करा सेत। अना उ वोको बायको ला खुस राखन चाव्हा सेत।
काहेकि अता मोरो जवर कोनी असो नाहती जो सुध्द मन लक तुमरी चिन्ता करहे।