हे कपटी मोसे को नियम को गुरू अना फरिसी गुरू, गीन तुम पर हाय। तुम मानूस को लाई सरग को राज को किवाड़ बंद करोसो, न ता खुदच ओमा धस सक सो, अना न ता ओमा धसन वारा हिन ला धसन देसो।
अना सीकान को लाय उनलक कहीस, “का पवीतर गिरंथ मा नही लिखियो से? की मोरो घर सब देस को लोकगीन को लाय पिराथना करन को घर कहलाहे पर तुमी ना एला डाकूगीन को अड्डा बनाय डाकिसेव।”
यो बात ओना एको लाई नही कहीस, की ओला गरीब गोर की चिंता होती, पर एको लाई कहीस, की उ चोट्टा होतो, अना ओको जवर ओकी पियुसी रहोत होती। अना ओको मा जो काही डाकयो जावत होतो उ हेड़ लेत होतो।
पर तु मुनादी करा सेत, का चोरी नोको करो। अना तू खुदच चोरी करा सेत। पर तुमी स्वता ला सिक्सा नही देवा सो, पर दुसरो ला सिक्सा देवसो। तुमरो तो दियो खाल्या इंधार सेत।