24 वय मोसे को नियम को गुरू को कन लक धाडो गयो होतिन।
अरे अँधरा फरिसी, पुढा बटकी अना भानी को भीतर लक साजरो मलके, बाहेर लक भी सुध्द भय जावो।
यीसु वहान लक जावन लग्यो, त मोसे को नियम को गुरू गीन वोला फसावन काजी, सवाल-जवाब करन लगीन।
मोसे को नियम को गुरू गिन धन-दौलत लक माया करत होतीन एकोलाय, यीसु को गोस्टी आयक के मजाक उड़ावत होतीन,
अखीन धरमगुरू अना मोसे को नियम को गुरू ना, वोको बप्तिस्मा नही लेइन, अखीन परमेस्वर ना उनको लाय, जोन तरकिब हेड़ो होतो, वोला नापास कर देईन।
योहन ना कव्हयो, जसो भविस्यवक्ता यसायाह ना साँगिसेस “जंगल मा एक हाकलनवारा को आवाज का पिरभू को पंथ ला सरल करो।” मि वोच सेव।
उनना योहन लक पलट के पुसिन, “तू ना ता मसीह ना तो भविस्यवक्ता ना ता एलिय्याह आस। मंग तु काय साठी बप्तिस्मा देसेस?”
काहेकि सदुकि गीन को कव्हनो होतो का मरयो मा लक जित्तो होवनो नही से, ना सरग होवासे, अना ना आतमा, काहेका फरिसी को एना सब पर बिस्वास से।
वय मोला लगत बेरा लक जानासेत, अना वय अदी चाव्हासेत ता यो बात को गवाहि, देव सक सेत। का मी ना कसो, आमरो धारमिक रित मा एक कट्टर समहु को अनुसार एक फरीसी को जसो जिंदगी बिताइसेऊ।