यो लोकगीन तुमरी जेवनार मा उन छुपी हुयी चट्टानगीन को जसो सेत जो नुकसानदायक से। यो लोक बिना डर को संगा तुमरो संग खासेत पीसेत पर उनला केवल आपरो सुवारत को च चिंता रव्हसेत। वय बिना पानी को बादर सेत। वय पतझड़ को कसा झाड़ सेत जिन पर फर नही होवासे। वय जोड़ामरा हुया सेत। उनला उखाड़ो जा चकी से।
वा जेतरी आपरो बड़ाई करके जितरो सुक भोगिसेत, तुमी भी ओला ओतरो च परेसानी अना कस्ट देव। काहेकि उ मन च मन कव्ह से, “मि ता रानी जसो सेव। मि बेवा नहीं सेव, मोरो कबच आंसु नही बहेत।”