1 अगो धनी गीन, आयक लेव, तुमी अपरो आवन वारा दुख गीन लाय चील्लाय-चील्लाय के रड़ो।
दिवस को ऊन मा गवथ मुरझा जावा सेत। अना वोका खिलो फूल झड़ जावा सेत। वोको खुबसुरती नास हो जावा सेत असो च धनी मानूस आपरो धनको संग-संग धूरो मा मिल जाहेती।
पर तुमना ता ओना गरीब मानूस को पुढ़ा मनमुटाव करिया सेव। अना का असो अमीर मानूस वयच नोहोति, जोन तुमरो पर अतियाचार करासेत अना तुमीला अदालत तकन घस-टतसेत?
तुमी जोन यो कव्हसेव आज नही त काल हमी अखीन कोनी नगर मा जायके वहान एक बरस बितावबो अना धन्दा करके कमावबो।
दुखी होवने अना सोक करो अना रोवो। तुमरी हासी सोक मा अना तुमरो खुसहाली उदासी मा बदल जाहे।