काहेका गिरंथ मा मिसर देस को राजा फराओ लक परमेस्वर कव्हसेत, “मी ना तोला एकोलाय वरता उचली सेव, का तोरो मा आपरा ताकत दिसाऊ, अना सप्पा धरती मा आपरा नाव को परचार करू।”
मुरती को पूजा करनवारा को जित्तो परमेस्वर को मंदिर लक काजक लेवनो-देवनो सेत। “काहेका आमी जित्तो परमेस्वर को मंदिर सेजन। जसो परमेस्वर ना खुदच मी आपरो लोकगीन को संग आपरो घर बनाहिन अना उनको बीच मा रव्हिन। अना मी उनको परमेस्वर रव्हिन अना वय मोरो लोक कहलायेत।”
अना पवितर गिरंथ ना पयले लक यो जानके की परमेस्वर गैरयहूदी ला भरोसा लक नेक ठहरायो जाहे, पुढ़ा च लक अबराहम ला साजरो बारता आयकवाय देइस: “की सप्पा लोक गीन तोरो मा किरपा पाहेति।”
काहेका आमी पुढ़ा बेअक्ल का रहत होता अना हुकूम ला नही मानत होता अना संका मा पड़या रव्हत होता। अना काई परकार को लोभ अना सुख सुविदा को चाकरी करत होता अना बइर, अना जरनाहि मा जिंदगी बितावत होता। अना आमी लक लोक घिरना करत होतीन अना आमी भी एकमेक लक घिरना करत होतो।