12 अगा मोरा भाऊगीन, “जसो अंजीर को झाड़ मा जैतून को फर नही लग सकासे वसोच खारो झिरिया लक मीठ्ठो पानी कसो हिटहेत।”
“तुम्ही लोक ला मालुम सेत का साजरो फर आनन लाय साजरो झाड़ लगानो पाहिजे अना बुरो झाड़ लक बुरो च फर मिलासेत। काय की झाड़ आपरो फर लक चीन्हो जासे।”
रास्ता को किनारो मा अँजीर को झाड़ चोयके उ ओको जवर गयो। तब पान ला छोड़ ओमा अखीन काही नही पायो अना झाड़ लक कहीस, “अता लक तोरो मा कबच फर नही लगहेत।” अना अँजीर को झाड़ तुरूत सूक गयो।
का एकच झिरिया लक का गोड़ अना खारो पानी दुई हिटसे?