11 दिवस को ऊन मा गवथ मुरझा जावा सेत। अना वोका खिलो फूल झड़ जावा सेत। वोको खुबसुरती नास हो जावा सेत असो च धनी मानूस आपरो धनको संग-संग धूरो मा मिल जाहेती।
एकोलाय जबा परमेस्वर बर्रा की गवथ ला, जो आज से अना काल स्तो की भट्टी मा झोकी जाहे, असो कपरा पहिनासे, ता हे कच्चो भरोसा वालो, तुमी ला उ उन लक बड़के, काहे नही पहिनाहे?