काहे का ऐना लोकगीन ला “अक्ल मा गोटा” पड गयी सेत ज्यादा आयक सेत, इनना डोरा बंद कर लईसेत कदी असो न होहे, का वय डोरा लक चोवके, अना कान लक आयक के; मन मा समज लेहेति, अना बदल जाय अना, मि उनला साजरो करू।
पर उनमा लक काही लोक जिद्दी होतीन। वय बिस्वास नही करीन। बल्कि पंचायत मा एना रस्ता की निन्दा भी करन लगीन। एकोलाय पौलुस न उनला छोडके, अपरा चेलागीन ला वहान लक हटाय लेईस। उ हरदिन तुरन्नुस सिक्सा घर मा चरचा बिचार करन लग्यो