जबा उ असो कव्हच रहयो होतो, तबा एक पाँढरो, बादर न उनला ढाक लियो, अना उ बादल लक एक आवाज आयी यो मोरो एकच चहेतो, टूरा से, जेनको लक मी गजब खुसी सेव “एकी आयको!”
दाऊद ना खुदच पवीतर आतमा मा होयके कहिसेस, पिरभु ना मोरो पिरभु ला कव्हासे, मोरो उज्जो बस जबा तकन मि तोरो जरन वालो बैरी ला तोरो पाय को पीढो नोको कर देहुँ।
जब तकन आज को दिवस कहलावसेत तबा तकन तुमी रोज एक दूजो ला बढ़ावा देव, कदी असो नोको भई जाय का तुमरो लक कोनी मानूस पाप मा पड जाय अना वोको मन गोटा जसो भई जाय।
एकोलाय परमेस्वर ना मंग एक खास दिवस पक्को करयो। अना वोला नाव दियो “आज” काही साल बितन को मघा दाऊद लक परमेस्वर ना वोना दिवस को बारे मा गीरंथ मा कहयो होतो। “जोनको बारे मा अमी अबा कव्हसेजन।” अदी आज वोको आवाज आयको, “तो आपरो मनला निठ्ठूर नोको करो।”