2 नही तो उनको चघानो काय लाय बंद नही होवा सेत। यदि सेवा करन वालो को मन एकच बार मा पवीतर भई जासेत। तो बार-बार अखीन बली चघानो जरूरी नाहती। अना उनको मन उनला बारम्बार पाप मा नही ठहरायती।
मंग उ असो भी कव्हसेत मी उनको पाप हुन ला अना उनको खोटो करम अधरम को काम ला कदी हेत नही करीन।
काहेकी अदि तुमी परमेस्वर को मरजी सेत सो समझ कै दुख उचल सो ता परमेस्वर यो गोस्टी काजी तुमला आसीरवाद देहेत।