यीसु ना फरिसी को कड़ो मन ला चोयके उदास भय गयो, अना हिजड़ के चारो कन चोयीस अखीन ओनो मानूस ला कहीस “आपरो हात बढाव।” ओना बढाईस, अखीन ओको हात साजरो भई गयो।
पर अकेलो दुनिया को रचना च नही कुन्हावअ सेत। मंग परमेस्वर को भेटयो लका एक आतमा भी सेत। वा भी आपरो भितर ढुकअ सेत, काहेका अमी यो काजी परमेस्वर को रस्ता चोवा सेजन। का वो अमिला आपरो लेकरा बनाय के आमरो पुरो जिंदगी को सूटकारा कर देवे।
पर जबा यो नासवान देह नास नही होवनवारा ला, अना यो मरनवारा देह अमरता ला पहन लहेत। तबा पवीतर गिरंथ को यो गोस्टी पूरो भई जाहेती। “मिरतु ला जीत ना खाय लेइसेस।”
तो जोनना परमेस्वर को टूरा को हुकूम ला तोड़के वोला आपरो पाय मा खुंदिसेस, अना वोको रकत को करार जोन वोला पवीतर ठहरसेस वोन वोला असुध्द ठहरा देइसेस अना दया को आतमा को अपमान करीसेस वोको काजक हाल होहेत वोला आपरो डिमाक लक सोचो।