उ बाहेर हिटके अना वोको मंघा-मंघा चलतो गयो पर वोकी समझ मा यो नही आय रहयो होतो, का जोन काही सरगदूत कर रहीसे उ खरो मा से! पर वोना सोचीस का मी कोनी सपना चोय रहीसेऊ।
दरसन को मघा जवाब भेटयो ता अमीला मालुम भयी गयो का अमीला परमेस्वर ना उन लोकगीन को बीच साजरो बारता आयकावन लाय मकीदुनिया जावन लाय सांगीसेस। ता अमी ना वहान जावन लाय ठान लियो।
परमेस्वर कव्होसे, का आखीर को दिवस मा असो होयेत का मी सबा मानूसगिन पर आपरो आतमा उबड़ा देहूँ, मग तुमरो टूरा अना टूरी भविस्यवानी सागेत। अना तुमरा जवान दरसन देखेत, अखीन तुमरा सायनो सपना देखेत।