एकोलाई हमी असो लेकराच न बनबिन जो हर कोनी असी नयी सिक्सा को हवा लक उछल जावबिन, जो आमरो रस्ता मा बव्हसे, लोकगीन को छल परन बेवहार लक, असी कपटता लक, जो ठगावन लक भरी योजना ला पेरीत करासे, इता-उता भटकाय दियो जावसे।
मिना चोवयो ओको डोस्की मा एक भारी घाव से। जोनलक वा मर जाहेत। पर चोवत। चोवत उ घाव साजरा भयी गयो। ऐतरो पर सप्पा धरती को रव्हनवारा लोक अकचकाके ओनो जनावर मंघा चल लगीन।