मंग वोको लक सांग्यो मी तूमी लक खरो-खर सांगसू का, “तुमी सरग ला उघड़ो हुयो अना परमेस्वर को सरगदूत गिनला वरता जातो अना मानूस को टूरा ला खाल्या उतरतो चोवने।”
तब परमेस्वर को मंदिर जोन सरग मा से, उघाड़ दियो गयो। अना ओनो मंदिर मा उनको करार को संदूक दिसयो। ओना बेरा बिजली कौन्धी, गड़गड़ाहट अना बादल को गरजन हुयो। एक डरावनो भुईडोल आयो, अना मोठो-मोठो ओला पड़िन।
मंग मिना सरग ला उघड़तो चोवयो, अना उतनी मोरो समोर एक पान्ढ़रो घोड़ा होतो। वा घोड़ा को सवार सच्चो होतो, अना बिस्वास काबील कहलात होतो। काहेका उ न्याय को संग फैसला करत होतो, अना लड़ाई करत होतो।