3 परो को दिवस हमी सैदा मा उतरया अना युलियुस न पौलुस को लाय दयावन भयो अना वोना पौलुस को संगीगिन लक मिलन लाय अनुमति दियो। जोन लक वोको लाय जरूरी-जरूरी चीज वोको संगी आन देहे।
अरे अभागो खुराजीन नगर, अरे अभागो बैतसैदा नगर तुम्ही मा जोन अचरज को काम कियो गयो सेत। अदि नास कियो नगर, सुर अखीन सैदा मा होत्यो। त वहान की जनता, रड़त-रड़त गम मनाय के, कबा लक पाप लक मन ला हटाय लेई होतिन।
उ सूर अना सैदा को लोक गीन लक लगत गुस्सा मा होत्यो। वय एक मेल होयके वोको जवर आयो। अना राजभवन को मुखिया बलास्तुस को मनायके मेल करनो चाहिन, काहेकी राजा को देस लक उनको देस को पालन-पोसन होत होतो।
जबा असो पक्को भय गयो का, हमी ला जहाज लक इटली जानो से। त पौलुस अना काही दुसरो कैदी गीनला महाराजा को एक युलियुस नाव को सेना नायक को हात सोप देइन। उ 100 सेना को कमान्डर होतो।