13 अना उभो होयके मोरो लक कहीस, अरे भाऊ साऊल मंग चोवन लग, वोनच बेरा मोरा डोरा उघड गईन अना मी न वोला देखयो।
पर अब लक दास को जसो नही पर दास लक भी साजरो, मजे भाऊ को जसो रह। जोन मोरो ता खास चहेतो से पर अब देह मा अना पिरभु मा भी, तोरो भी खास पयारो होय।