दरसन को मघा जवाब भेटयो ता अमीला मालुम भयी गयो का अमीला परमेस्वर ना उन लोकगीन को बीच साजरो बारता आयकावन लाय मकीदुनिया जावन लाय सांगीसेस। ता अमी ना वहान जावन लाय ठान लियो।
मंग बिसराम दिवस यो बिचार करतो हुयो पिराथना करन को लाई का वहान कोनी जघा होहेत। आमी नगर को बेसकुड़ को बाहेर नदी मा गयो। अमी बसके जमा आई-माई लक गोस्टी करन लगया।
मंग असो भयो का जबा आमी कोनी दिवस पिराथना घर जावत होता की एक जुवान बायको लक आमरी मुलाकात भई। ओमा सगुन देखनवारी आतमा होती। वा लोकगिन को पराय सांगके आपरो मालीक गीन को साठी लगत पैसा कमाय के देवत होती।
तबा सेना को मुखिया न दूई सेनापती गीनला हाकलीस। अना उनला कहीस “आज रात नौ बजे तकन कैसरिया जान लाई दूई सौ सिपाई सत्तर घुडसवार अना दूई सौ भाला चलनवारो तैय्यार राखो।
जबा असो पक्को भय गयो का, हमी ला जहाज लक इटली जानो से। त पौलुस अना काही दुसरो कैदी गीनला महाराजा को एक युलियुस नाव को सेना नायक को हात सोप देइन। उ 100 सेना को कमान्डर होतो।
तीन महिना बाद हमी न सिकन्दरिया को एक जहाज मा चल पडया। अना दव को बेरा यो जहाज यहान च होतो। अना जहाज को पुड़ा हिस्सा मा “जुड़या इस्वर” असो छापा होतो। काहेकि वोला जुड़या इस्वर जहाज भी कव्हत होतीन।
ओना काही ला पेरीत, काही ला भविस्यवक्ता काही ला साजरो बारता को सांगन वालो अना काही ला परमेस्वर को मानूस को रक्सा करनवालो पासवान अना काही ला गुरुजी ठहराय देईसेस।