वोना दिवस मा अचरज दुख को मघा दिन इन्धार भई जाहेत। अना चन्दा को उजार खतम भई जाहेत। अना बादल मा जोन नक्सतर सेत, उ सब हिलायो जाहेत। तबा तारा चान्दनी बादल लक पड़ जाहेत।
परंतु परमेस्वर को दिवस चोर जसो आवन वालो सेत। वोना दिवसी बादल मा मोठ्या गरजन होहेत अना नास भयी जाहेत। अना सब चीज पिघल जाहेत अना धरती अना वोका वरी काम को नियाव होयेत।