हे कपटी मोसे को नियम को गुरू अना फरिसी गुरू, गीन तुम पर हाय। तुम मानूस को लाई सरग को राज को किवाड़ बंद करोसो, न ता खुदच ओमा धस सक सो, अना न ता ओमा धसन वारा हिन ला धसन देसो।
पिरभू ना कव्हयो, हे मोसे को नियम को गुरू, तुम्ही विधि-विधान लक हात-पाय धोवके ना, गडू-गिलास भानी ला बहार लक माजा सो, पर तुम्हारो भीतर मा ला लक बुराई भरोसे।
एकोलाई हमी असो लेकराच न बनबिन जो हर कोनी असी नयी सिक्सा को हवा लक उछल जावबिन, जो आमरो रस्ता मा बव्हसे, लोकगीन को छल परन बेवहार लक, असी कपटता लक, जो ठगावन लक भरी योजना ला पेरीत करासे, इता-उता भटकाय दियो जावसे।