एकोलाई हमी असो लेकराच न बनबिन जो हर कोनी असी नयी सिक्सा को हवा लक उछल जावबिन, जो आमरो रस्ता मा बव्हसे, लोकगीन को छल परन बेवहार लक, असी कपटता लक, जो ठगावन लक भरी योजना ला पेरीत करासे, इता-उता भटकाय दियो जावसे।
मंग जेना सरगदूत गीन ना आपरो पद ला संभाल नही सकिन अना खुद को रव्हन को जघा ला तज देईन, ओना उनला ओना मुसीबत को दिवस को नियाव को लाई इंधारो मा जोन अमर बेरा को लाई से, बंधन मा राखीसेस।